Description
वयं रक्षामः-आचार्य चतुरसेन (रावण को एक नए सिरे से देखें। रावण ने दक्षिण को उत्तर से जोड़ने के लिए नै संस्कृति का प्रचार किया, जिसे उसने रक्ष संस्कृति का नाम दिया। रावण जब भगवान शिव की शरण में गया ,तो उसने कुछ इस तरह से बताया ,हम रक्षा करते हैं। यही हमारी रक्ष संस्कृति है.रावण के जीवन और उनके कार्यो पर आधारित उपन्यास।
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