Description
प्रस्तक सत्य की लेखों का संग्रह है. विषय आध्यात्मिक, सामाजिक. ऐतिहासिक, तथा राजधर्म संबधी है। हिंदी भारत में ८० प्रतिशत होते हुए भी प्रभावहीन क्यों हैं, मूर्तिपूजा आदि उनकी कमजोरियां बताई गई हैं। योगेश्वर श्री कृष्ण पर भगवत आदि पुराणों में झूठे दोष लगाए हैं.म्महाभारत में उनका जीवन बड़ा पवित्र तथा महान बताया है। हिन्दू जाति के सुधार में महृषि दयानन्द का योगदान अद्वितीय है, आर्यसमाज वेद को मानने हैं। वेद मनुस्य को मनुस्य बनाते हैं, कायर नहीं , बहादुर बनाते हैं,. यह भी पुस्तक में वर्णित है,
पुस्तक में इस्लाम कुरान, महात्मा गाँधी और स्वामी विवेकानंद का वास्तविक चेहरा दिखाया गया है. जो आम जनता नहीं देख़ती। अकबर की महानता का भंडाफोड़ किया गया है
Reviews
There are no reviews yet.